भारत रक्षा क्षेत्र में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है | और इसी समय में DRDO ने दिया भारत को तोफा बना लिया हाइपरसोनिक मिसाइल | डर गए भारत के दुश्मन

India Hypersonic Missile 2024
DRDO बनाई Hypersonic Missile का भारत ने शनिवार को लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण करके डिफेंस टेक्नोलॉजी में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। और रक्षा क्षेत्र की और ज्यादा ताकद बढ़ाई रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने स्वदेशी रूप से विकसित इस मिसाइल को ओडिशा के तट से दूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से प्रक्षेपित किया है।
विभिन्न पेलोड ले जाने के लिए डिजाइन की गई हाइपरसोनिक मिसाइल की रेंज 1,500 किलोमीटर से ज्यादा है, जो किसी भी दुश्मन देश के अंदर १,५०० किलोमीटर तक हमला कर सकती है | जो इसे भारतीय सशस्त्र बलों की सभी शाखाओं के शस्त्रागार में एक महत्वपूर्ण हथियार बनाती है। इस हाइपरसोनिक मिसाइल का फ्लाइट टेस्ट डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और सशस्त्र बलों के अधिकारियों की मौजूदगी में किया गया है। और सब भारतीओ की नजर इस परीक्षण पर थी |
इस भारतीय Hypersonic Missile के परीक्षण पर सारी दुनिया के मिडिया की नजर थी | यह अभूतपूर्व उपलब्धि एडवांस हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक रखने वाले चुनिंदा देशों के समूह में भारत की स्थिति को मजबूत करती है। यह मिसाइल हैदराबाद में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स की प्रयोगशालाओं और डीआरडीओ प्रयोगशालाओं और कई उद्योग भागीदारों के सहयोग से किए गए रिसर्ट एंड डेवलपमेंट का परिणाम है। इस Hypersonic Missile बनाकर DRDO को बड़ी सफलता हासील हुई |

भारत का यह सहयोग डिफेंस टेक्नोलॉजी में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता और “मेक इन इंडिया” के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को उजागर करता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए इसे देश के लिए “ऐतिहासिक क्षण” बताया। उन्होंने कहा, “भारत ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण करके एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। आप सब लोगो को इस खुसी पर बधाई देता हु |
भारत में बानी हुई सवदेशी Hypersonic Missile का सफल परीक्षण यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे देश को ऐसी एडवांस सैन्य क्षमताओं वाले चुनिंदा देशों के समूह में शामिल करती है।” उन्होंने इस शानदार सफलता में उनके असाधारण योगदान के लिए टीम डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योग भागीदारों को बधाई दी।
भारत के लिए ये कितनी बड़ी उपलब्धि है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं, कि अभी तक अमेरिका भी हाइपरसोनिक मिसाइल नहीं बना पाया है। अमेरिका की सभी कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं। और ये काम भारत के DRDO ने कर दिखाया |
DRDO का Hypersonic Missile क्यों मायने रखता है?
भारतीय टेक्निक से बनी हुई Hypersonic Missile रीयूजेबल मानव-रेटेड हाइपरसोनिक उड़ान कोई नई बात नहीं है। 1960 के दशक में, X-15 ने मैक 5 से ऊपर की 120 से ज्यादा उड़ानें पूरी कीं, जो सामान्य कॉमर्शियल विमानों से ज्यादा ऊंचाई पर थीं। 1980 के दशक से लेकर 2011 तक, स्पेस शटल ने सौ से ज्यादा मिशन उड़ाए, जिसमें मैक 25 पर 30 मिनट की उड़ान का समय शामिल था, जो आधी दुनिया को पार करने के बाद सफल फ्लोरिडा में उतरा।
रूस और चीन दोनों ने ऐसे हथियार विकसित करके हाइपरसोनिक उड़ान को अगले स्तर तक आगे बढ़ाया है, जो न सिर्फ तेजी से उड़ते हैं, बल्कि कम ऊंचाई पर भी डिफेंस के आसपास पैंतरेबाजी करते हैं और महत्वपूर्ण गति से अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं। रूस ने यूक्रेन के साथ युद्ध में कई बार उनका इस्तेमाल किया है। अब भारत का भी नाम Hypersonic Missile बनाने वाले देश में शामिल हो गया |
सुपरपावर अमेरिका क्यों हो रहा बार बार नाकाम
दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति माने जाने वाला अमेरिका 1950 और 1960 के दशक में अमेरिका द्वारा हासिल की गई परीक्षण की गति अब लालफीताशाही और नौकरशाही के चक्कर में फंसी हुई है। अमेरिका की विनियामक प्रक्रियाएं सुस्त हैं। जब तक सुधार नहीं किया जाता, वो इसे नहीं बना पाएंगे। अमेरिका ने अभी तक कम से कम तीन बार हाइपरसोनिक मिसाइलों का परीक्षण किया है, |
लेकिन हर बार वो नाकाम रहा है। इस नाकामी ने अमेरिका को चीनी और रूसी खतरे का अहसास कराया है। कई एक्सपर्ट्स का मानना है, कि टेक्नोलॉजी में खामी ने अमेरिका को अभी तक इस हथियार को बनाने से रोक रखा है। अब भारत ने हाइपरसोनिक मिसाइल बनाकर अमेरिका को बहुत बड़ा झटका दे दिया |
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